सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रोग क्या है, कितने प्रकार के होते है, और इनके होने के कारण?

जब शरीर अथवा इसका कोई अंग ठीक तरह से काम करना बंद कर कर देता है तो इसके कारण से मनुष्य को जो असुविधा अथवा कष्ट होता है उसे ही रोग या डिजीज कहते हैं।
         मनुष्य को सैकड़ों तरह के रोग होते हैं, जिन का वर्गीकरण करना बहुत कठिन कार्य है। फिर भी मोटे रूप में इन रोगों को नीचे लिखे वर्गों में लिखा जा सकता है--
         
(१) संक्रामक रोग (Infection disease):- इन्हें छूत के रोग कहते हैं। यह रोग विभिन्न जातियों के जीवाणुओं और वायरसों द्वारा उत्पन्न होते हैं। मनुष्य को होने वाले सबसे भयंकर और कष्टदायक रोग यही हैं। इनमें मृत्यु संख्या भी बहुत अधिक होती है। यक्ष्मा, न्यूमोनिया, चेचक, हैजा, मलेरिया, सिफलिस और सूजाक आदि इसी वर्ग के रोग हैं।

(२) हिनताजनिक रोग (Deficiency Disease):- हमारे भोजन में अगर लंबे समय तक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन अथवा खनिज लवणों की कमी रहे तो इस तरह के रोग हो जाते हैं जिनसे एनीमिया, वेरी-वेरी, रिकेट्स, स्कर्वी आदि इसी प्रकार के रोग हैं।

(३) व्यपजनन संबंधी रोग (Degenerative Diseases):- वे रोग हैं जो वृद्धावस्था के कारण शरीर के ऊतकों कोशिकाओं तथा अंगों में होने वाली घिसाई और टूट फूट के कारण उत्पन्न होते हैं जैसे- हृदय रोग हाई ब्लड प्रेशर वातरोग इत्यादि।

(४) एलर्जी (Allergies):- एलर्जी के कारण उत्पन्न हुए रोग ज्यादा गंभीर तो नहीं होते परंतु मनुष्य इनके कारण काफी परेशान रहता है। कुछ लोग किसी विशेष वस्तु के प्रति संवेदनशील होते हैं और जब वे वस्तुएं उनके शरीर के संपर्क में आती हैं तो वे रोगी हो जाते हैं। कुछ लोग अगर धूल भरे वातावरण में कुछ ही दिनों रहे तो उनमें दमा हो जाता है कुछ लोग यदि कोई विशेष औषधि खा ले तो समस्त शरीर पर फुंसियां निकल आती हैं और शरीर में खुजली होने लगता है। कुछ लोगों को पेनिसिलिन से इतनी एलर्जी होती है कि इसका इंजेक्शन लगते ही वह बेहोश हो जाते हैं यहां तक कि मृत्यु भी हो जाती है।

(५) कैंसर (Cancer):-  जब हम वयस्क हो जाते हैं तो हमारे शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में विभाजन होना समाप्त हो जाता है। केवल अस्थिमज्जा, कार्निया, त्वचा और जनन ग्रंथियों की कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं ताकि टूट फूट कर नष्ट हो गई कोशिकाओं की क्षतिपूर्ति की जा सके। कभी-कभी किसी कारण से जो वैज्ञानिकों को अभी तक मालूम नहीं हो सका है शरीर के किसी अंग की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ना शुरू कर देती हैं जिससे गांठे या रसौलिया बन जाती हैं। इन गांठो से प्रारंभ मैं कोई पीड़ा नहीं होती अतः रोगी का ध्यान उसकी ओर नहीं जाता परंतु शीघ्र ही यह गांठे इतनी तेजी से बढ़ने लगती हैं कि रोगी की मृत्यु हो जाती है।
            इनके अतिरिक्त रोगो के और भी वर्ग बनाए जा सकते हैं जैसे कि मानसिक रोग ( मिर्गी, हिस्टीरिया, अवसाद आदि) तथा अंतः स्रावी ग्रंथियों के अधिक या कम काम करने से उत्पन्न रोग (मधुमेह, घेंघा, बंध्यत्व नपुंसकता आदि)।
            उपरोक्त विवरण से यह ज्ञात हो गया होगा कि मनुष्य को होने वाले अधिकांश भयंकर और घातक रोग जीवाणु द्वारा उत्पन्न होते हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

BETAMETHASONE क्या होता है? इसके क्या फायदे है? और क्या नुकसान है? जाने HINDI और ENGLISH LANGUAGE में।

उपयोग बीटामेथासोन (Betamethasone) क्या है? आमतौर पर बीटामेथासोन का इस्तेमाल कई प्रकार के स्किन इंफेक्शन जैसे एग्जिमा, सोरायसिस या एलर्जिक रिएक्शन के उपचार में होता है। यह सूजन, खुजली और लालिमा को कम करती है, जो उपरोक्त एलर्जिक रिएक्शंस में पैदा होते हैं। यह बाजार में बीटामेथासोन के तौर पर उपलब्ध है। मुझे बीटामेथासोन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? डॉक्टर की सलाह पर निम्नलिखित तरीकों से बीटामेथासोन क्रीम को लगाया जा सकता है : त्वचा पर लगाएं। त्वचा के संवेदनशील हिस्सों जैसे चेहरा, बगलों, जांघ या डायपर रैश पर इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। डॉक्टर की सलाह पर ही बीटामेथासोन क्रीम का इस्तेमाल करें। डॉक्टर की निर्देशित समय सीमा से अधिक दिनों तक इसका इस्तेमाल ना करें। यदि आपकी स्थिति में सुधार नहीं होता है या यह बदतर होती है तो डॉक्टर को तुरंत सूचित करें। बीटामेथासोन को लगाने से पहले प्रभावित त्वचा को सूखा और साफ रखना जरूरी है। प्रभावित त्वचा पर हाथों को धोकर क्रीम लगाएं और इसे हल्का मल लें। बिना डॉक्टर की सलाह के प्रभावित त्वचा पर बैंडेड या उसे ना ढकें...

Amoxicillin किस उपयोग में लिया जाता है?

एमोक्सिसिलिन बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होता है। यह दवाओं के समूह पेनिसिलिन टाइप एंटीबायोटिक से संबंधित ड्रग है। आपको बता दें कि यह दवा केवल बैक्टीरियल इंफेक्शन में इस्तेमाल होती है। टॉक्सिलिटिस, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, गोनोरिया, और कान, नाक, गले, त्वचा, या यूरिनरी ट्रेक्ट के संक्रमण जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाले कई प्रकार के संक्रमण का इलाज करने के लिए एमोक्सिसिलिन का उपयोग किया जाता है। वायरल इंफेक्शन (जैसे सर्दी, फ्लू) आदि में यह दवा इस्तेमाल नहीं होती है। जब एंटीबायोटिक की जरूरत हो तभी डॉक्टर के सलाह के मुताबिक इसका इस्तेमाल करना चाहिए। लंबे समय या इसकी ज्यादा खुराक इस्तेमाल करने से इस दवा का प्रभाव कम होने लगता है। पेट या आंतों के अल्सर के इलाज के लिए यह दवा दूसरी दवाइयों के साथ इस्तेमाल होती है। यह दवा और भी दूसरी चीजों में इस्तेमाल होती है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से संपर्क करें।

खांसी के इलाज हेतु औषधियां एवम् कुछ घरेलू उपाय।

खांसी एक बहुत ही गंभीर बीमारी होने का लक्षण है। इसका सही से इलाज ना करवाने पर व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। इस बीमारी को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए आज हम इसके निवारण हेतु कुछ औषधियों को निम्म रूप में नीचे बताएंगे। १- रोग के मूल कारण को देखकर शुरुआत में पसीना लाने वाली औषधियां देनी चाहिए। २- रोगी को बिस्तर पर आराम करने को कहें। ३- रोगी को पीने के लिए गर्म अर्थात उबला हुआ पानी दे। ४- यदि रोगी धूम्रपान का शौकीन हो तो उसे बंद करा दें। ५- रोगी को टिंक्चर बेंजोइन गर्म पानी में उबालकर उस की भाप लेने को कहें अथवा Vics VapoRub गर्म पानी में डालकर उसकी भाप दे। ६- विक्स वेपोरब अथवा कोई अन्य बाम रोगी के छाती में व पीठ और गले में मले। ७- पानी की कमी अर्थात डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए रोगी को तरल अधिक मात्रा में दें। ८- रोगी को हल्की गर्म चाय जिसमें अदरक व तुलसी की ताजा साफ स्वच्छ पत्तियो से युक्त पेय पीने को दें। ९- बहुत बार खांसी का रोग - वायरल संक्रमण के कारण होता है तथा जिसमें एंटीबायोटिक एवं अन्य औषधियां लाभात्मक प्रभाव नहीं करती हैं। इस प्रकार की खासी से पीड़ित रोगि...